15 August: स्वतंत्रता दिवस सभी भारतवासियों के लिए बहुत ही हर्ष उल्लास का दिन है। सभी देशवासी हर वर्ष 15 August के दिन भारत देश का स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं। इस साल देश अपना 77 वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है। 15 अगस्त सन् 1947 को इसी दिन भारत के निवासियों को ब्रिटिश शासन से करीब 200 साल बाद स्वतंत्रता मिली थी। भारत को आजादी दिलाने के लिए कई देशवासियों, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने अपनी जान की कुर्बानी दी थी। 15 अगस्त का दिन इन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को याद कर उन्हे श्रद्धांजलि देने का भी दिन है। यह भारत का राष्ट्रीय त्यौहार है।
यह दिवस झंडा फहराने के समारोह, सांस्कृतिक आयोजनों और परेड के साथ पूरे भारत देश में मनाया जाता है। भारतीय इस दिन अपनी पोशाक, घरों और अपने निजी वाहनों पर राष्ट्रीय ध्वज प्रदर्शित कर इस उत्सव को मनाते हैं। इस दिन प्रधानमंत्री का लालकिले से संबोधन सीधा टी वी पर लाइव प्रसारित होता है तो सभी स्कूलों में बच्चों को यह एक साथ दिखाया और सुनाया जाता है और साथ ही घर के लोग भी इसे बड़े ध्यान से सुनते हैं। इस पूरे दिन टी वी पर कुछ न कुछ देशभक्ति से संबंधित चलता रहता है फिर वह कोई देशभक्ति फिल्म हो या देशभक्ति के गीत हों, सारा परिवार साथ बैठ कर या देखता है।
प्रतिवर्ष इसी दिन भारत के प्रधानमंत्री लाल किले से देश को सम्बोधित करते हैं। 15 अगस्त 1947 के दिन भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने, दिल्ली में लाल किले के लाहौरी गेट के ऊपर, भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराया था। तभी से यह परंपरा चली आ रही है। महात्मा गाँधी व अन्य नेताओं के नेतृत्व में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में लोगों ने काफी हद तक अहिंसक प्रतिरोध और सविनय अवज्ञा आंदोलनों में हिस्सा लिया। स्वतंत्रता के बाद ब्रिटिश भारत को धार्मिक आधार पर विभाजित किया गया, जिसमें भारत और पाकिस्तान का उदय हुआ। विभाजन के बाद दोनों देशों में हिंसक दंगे भड़क गए और सांप्रदायिक हिंसा की अनेक घटनाएं हुईं। बंटवारे के कारण मनुष्य जाति के इतिहास में इतनी ज्यादा संख्या में लोगों का स्थानांतरण कभी नहीं हुआ। यह संख्या लगभग 1.48 करोड़ थी। 1951 की भारत की जनगणना के अनुसार बंटवारे के एकदम बाद लगभग 73,25,000 मुस्लिम लोग भारत छोड़कर पाकिस्तान गये और 73,38,000 हिन्दू और सिख लोग पाकिस्तान को छोड़कर भारत आए थे।
स्वतंत्रता का इतिहास : Indian Independence History
बात शुरू होती है 17वीं सदी से जब यूरोपीय व्यापारी भारत आए थे। यूरोपीय व्यापारियों ने उसी समय से ही भारतीय उपमहाद्वीप में पैर जमाना शुरू कर दिया था। धीरे धीरे अपनी सैन्य शक्ति में बढ़ोतरी करते हुए ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने 18वीं सदी के अन्त तक आस पास के राज्यों को अपने अधीन करके अपने आप को स्थापित कर लिया था। 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बाद भारत सरकार अधिनियम 1858 के अनुसार भारत पर सीधा सीधा राज ब्रिटेन की राजशाही का हो गया। दशकों के बाद नागरिक समाज ने धीरे-धीरे अपना विकास किया और इसके फलस्वरूप 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस समिति का निर्माण हुआ। भारतीय समाज सुधारकों द्वारा स्वशासन की मांग की गई। प्रथम विश्व युद्ध और महात्मा गांधी के भारत वापसी के बाद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और तेज हो गया। प्रथम विश्वयुद्ध के बाद का समय ब्रितानी सुधारों के काल के रूप में जाना जाता है। इसके परिणामस्वरूप महात्मा गांधी के नेतृत्व में असहयोग और सविनय अवज्ञा आंदोलनों तथा राष्ट्रव्यापी अहिंसक आंदोलनों की शुरूआत हो गयी।
साइमन कमीशन 1927 में भारत में सुधार लाने के लिए भारत भेजा गया था। इसमें भारत का एक भी नेता मतलब सदस्य नही था। साथ ही स्वराज्य के बारे में भी कोई घोषणा नही थी, जिससे आम जनता भड़क गई। मुस्लिम लीग और लाला लाजपतराय ने इसका बहिष्कार किया और इस बहिष्कार में आने वाले जन समूह पर खूब लाठियां बरसाई गई। जिससे शेर ए पंजाब लाला लाजपतराय जी को गंभीर चोटें आई और वे शहीद हो गए। 1929 के प्रारंभ में महात्मा गांधी जी के नेतृत्व में ‘सविनय अवज्ञा’ आंदोलन शुरू हुआ। जिसका लक्ष्य ब्रिटिश सरकार के आदेशों का पूर्णतया विरोध करना था।
1930 के दशक के दौरान ब्रितानी कानूनों में धीरे-धीरे सुधार आने लगे थे। इसके बाद के चुनावों में कांग्रेस ने जीत हासिल की। इसके बाद का पूरा जो दशक था वह बहुत ज्यादा राजनीतिक उतार चढ़ाव वाला रहा था। द्वितीय विश्व युद्ध में भारत की सहभागिता, अखिल भारतीय मुस्लिम लीग द्वारा मुस्लिम राष्ट्रवाद का उदय हुआ और साथ ही कांग्रेस द्वारा असहयोग आंदोलन का अन्तिम फैसला आया। 1947 में स्वतंत्रता के समय तक राजनीतिक तनाव और अधिक बढ़ता गया। इसका अंत भारत और पाकिस्तान के विभाजन के रूप में हुआ।
स्वतंत्रता से पहले के स्वतंत्रता दिवस
1929 लाहौर सत्र में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज घोषणा की और 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में घोषित किया। कांग्रेस ने भारत के लोगों से सविनय अवज्ञा करने के लिए स्वयं प्रतिज्ञा करने व पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्ति तक समय-समय पर जारी किए गए कांग्रेस के निर्देशों का पालन करने के लिए कहा।
इस तरह के स्वतंत्रता दिवस समारोह का आयोजन भारतीय नागरिकों के बीच राष्ट्रवादी ईंधन झोंकने के लिये किया गया व स्वतंत्रता देने पर विचार करने के लिए ब्रिटिश सरकार को मजबूर करने के लिए भी किया गया। कांग्रेस ने 1930 और 1950 के बीच 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया। इसमें लोग मिलकर स्वतंत्रता की शपथ लेते थे। जवाहरलाल नेहरू ने अपनी आत्मकथा में इसका वर्णन किया है कि ऐसी बैठकें किसी भी भाषण या उपदेश के बिना, शांतिपूर्ण व गंभीर होती थीं। गांधी जी ने कहा कि बैठकों के अलावा, इस दिन को, कुछ अलग काम करने में खर्च किया जाये जैसे हिंदुओं और मुसलमानों का पुनर्मिलन या निषेध काम, कताई कातना या या अछूतों की सेवा। 1947 में वास्तविक आजादी के बाद भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को प्रभाव में आया; तब के बाद से 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।
‘1947’ स्वतंत्रता के समय
14 अगस्त 1947 को लाखों हिन्दू, मुस्लिम और सिख लोगों ने स्वतंत्रता के बाद जो नई सीमाएं तैयार की गई थी उन्हें सभी ने एक साथ पैदल पार कर सफर तय किया। पंजाब में सीमाओं ने सिख क्षेत्रों को दो हिस्सों में बांट दिया था जिसके चलते पंजाब में बड़े पैमाने पर लड़ाई हुई और खूब मार काट हुई जिससे वहां पर अत्यधिक रक्तपात हो गया। बिहार और बंगाल में भी लगभग यही हाल हुआ, वहां पर भी हिंसा भड़क गयी पर महात्मा गांधी की उपस्थिति ने सांप्रदायिक हिंसा को कम किया। स्वतंत्रता के समय जो नए बॉर्डर बने थे उन बॉर्डर के दोनों तरफ लगभग 2 लाख 40 हज़ार से 12 लाख लोग अत्याचार में मारे गए। पूरा देश स्वतंत्रता दिवस मना रहा था, वहीं गांधी जी इस अत्याचार को रोकने की कोशिश में कलकत्ता में ही रुक गए थे, पर 14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस घोषित हुआ और पाकिस्तान के नाम से एक नया देश अस्तित्व में आया। मुहम्मद अली जिन्ना ने कराची में पहले गवर्नर जनरल के रूप में शपथ ली।
इसके बाद भारत की संविधान सभा ने नई दिल्ली में एक बैठक की। यह बैठक संविधान हॉल में 14 अगस्त 1947 को लगभग 10 – 11 बजे के आस पास हुई। संविधान सभा ने अपने पांचवें सत्र की बैठक की। इस सत्र की अध्यक्षता देश के पहले राष्ट्रपति डा राजेंद्र प्रसाद के द्वारा हुई। बैठक में जवाहर लाल नेहरू ने भारत की आजादी की घोषणा की और साथ ही उन्होंने ट्रिस्ट विद डेस्टिनी नामक भाषण दिया। सभा में उपस्थित सदस्यों ने कानूनी रूप से देश की सेवा करने की शपथ ली। महिलाओं के एक समूह ने भारत की महिलाओं का प्रतिनिधित्व किया व कानूनी रूप से विधानसभा को राष्ट्रीय ध्वज भेंट किया। इसके बाद सभी औपचारिक समारोह नई दिल्ली में हुए जिसके बाद भारत एक स्वतंत्र देश बन गया। पंडित जवाहर लाल नेहरू ने प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में पद ग्रहण किया व शपथ ली और वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने पहले गवर्नर जनरल के रूप में अपना पदभार संभाला। महात्मा गांधी के नाम के साथ लोगों ने इस अवसर को मनाया। हालांकि महात्मा गांधी ने खुद इन सभी घटनाओं में कोई भी हिस्सा नहीं लिया। इसके बजाय, उन्होंने हिंदू और मुस्लिम गुटों के बीच शांति को बढ़ावा देने के लिए कलकत्ता में एक भीड़ से बात की, उस दौरान ये 24 घंटे बिना कुछ खाए पिए रहे।
15 August 1947 को सुबह 11:00 बजे संघटक सभा ने भारत की स्वतंत्रता का भव्य समारोह आरंभ किया, जिसमें अधिकारों को जनता तक ट्रांसफर किया गया। जैसे ही मध्यरात्रि की घड़ी आई भारत ने अपनी स्वतंत्रता हासिल की और भारत स्वयं में एक स्वतंत्र राष्ट्र बन गया। जवाहरलाल नेहरू ने दिल्ली के लाल किला पर भारतीय ध्वज फहराया और उसके बाद ट्रिस्ट विद डेस्टिनी भाषण देते हुए लोगों को पुकारा। इस भाषण को 20वीं सदी के महानतम भाषणों में से एक माना जाता है।
जवाहर लाल नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने । उन्होंने अपने भाषण में कहा कि “मध्यरात्रि के घन्टे की चोट पर जब दुनिया सो रही होंगी। हिंदुस्तान जीवन और आज़ादी के लिए जाग उठेगा ।एक ऐसा क्षण जो इतिहास में दुर्लभ ही आता है । जब हम अपने पुराने कवच से नये जगत में कदम रखेगें, जब एक युग की समाप्ति होंगी और जब राष्ट्र की आत्मा लम्बे समय तक दमित रहने के बाद अपनी आवाज पा सकेगा ।हम आज दुर्भाग्य का एक युग समाप्त कर रहे है और भारत अपनी दोबारा खोज आरंभ कर रहा है“
15 August के दिन देश में क्या क्या होता है
इस दिन देश के प्रथम नागरिक और देश के राष्ट्रपति स्वतंत्रता दिवस की पूर्वसंध्या पर “राष्ट्र के नाम संबोधन” देते हैं। इसके बाद अगले दिन दिल्ली में लाल किले पर तिरंगा झंडा फहराया जाता है, जिसे 21 तोपों की सलामी दी जाती है। इसके बाद प्रधानमंत्री लाल किले से ही देश को संबोधित करते हैं। आयोजन के बाद स्कूली छात्र तथा राष्ट्रीय कैडेट कोर के सदस्य राष्ट्र गान गाते हैं। देश के सभी राज्यों की राजधानी में इस अवसर पर विशेष झंडावंदन कार्यक्रम आयोजित किया जाता है, तथा राज्य के सुरक्षाबल राष्ट्रध्वज को सलामी देते हैं। प्रत्येक राज्य में वहाँ के मुख्यमंत्री ध्वजारोहण करते हैं। जिला प्रशासन, नगरीय निकायों, स्थानीय प्रशासन व पंचायतों में भी इसी प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। सभी लोग तरह तरह के नारे लगाते हैं और देश भक्ति गीत गाते हैं।
एक अन्य गतिविधि जो स्वतंत्रता की भावना का प्रतीक है और यह है पतंगें उड़ाना। आसमान में हजारों रंग बिरंगी पतंगें देखी जा सकती हैं। ये चमकदार पतंगें हर भारतीय के घर की छतों और मैदानों में देखी जा सकती हैं और ये पतंगें इस अवसर के आयोजन का अपना विशेष तरीका है। ज्यादातर लोग हमारे देश के तिरंगे के रंग की पतंगे उड़ाते हैं और स्वतंत्रता को मानते हैं।
15 August स्वतंत्रता के श्लोगन
भारत के महान स्वतंत्रता सेनानियो ने हमें अंग्रेजों के शासन से मुक्ति तो दी ही साथ ही साथ हमें कई श्लोगन भी दिए। श्लोगन देशवासियों के अंदर देशभक्ति भरने का कार्य करते हैं। आजादी से पहले भी ये श्लोगन देशवासियों को आजादी के लिए प्रेरित किया करते थे और लोग आज भी स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर इन्ही सारे श्लोगनों को नारे के तौर पर लगाते हैं। उन्ही श्लोगनो में से कुछ श्लोगन निम्न हैं:
- वंदे मातरम्
- तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा
- अंग्रेजों भारत छोड़ो
- इंकलाब ज़िंदाबाद
- सत्यमेव जयते
- जय जवान जय किसान
- जय हिन्द
- सरफरोसी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
- सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तान हमारा
- दुश्मन की गोलियों का हम सामना करेंगे, आजाद ही रहे हैं और आजाद ही रहेंगे
- स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर ही रहूंगा
- मेरे सिर पर लाठी का एक एक प्रहार अंग्रेजी शासन के लिए ताबूत की कील साबित होगा ।
स्वतंत्रता से जुड़े कुछ महान स्वतंत्रता सेनानियों के नाम
- अलगुमुथू यादव
- लाला लाजपत राय
- बाल गंगाधर तिलक
- डॉ. राजेंद्र प्रसाद
- लाल बहादुर शास्त्री
- सरदार वल्लभ भाई पटेल
- सरदार भगत सिंह
- सुभाष चंद्र बोस
- महात्मा गांधी
- जवाहरलाल नेहरू
- गोपाल कृष्ण गोखले
- चंद्रशेखर आजाद
- दादाभाई नौरोजी
- तात्या टोपे
- बिपिन चंद्र पाल
- अशफाक उल्ला खां
- नाना साहब
- सुखदेव
- कुंवर सिंह
- मंगल पांडे
- वी डी सावरकर
- एनी बेसेंट
- रानी लक्ष्मी बाई
- बेगम हजरत महल
- कस्तूरबा गांधी
- कमला नेहरू
- विजय लक्ष्मी पंडित
- सरोजिनी नायडू
- सुहासिनी गांगुली
- अरुणा आसफ अली
- मैडम भीकाजी कामा
- कमला चट्टोपाध्याय
- सुचेता कृपलानी
- कित्तूर चेन्नम्मा
- सावित्रीबाई फुले
- उषा मेहता
- लक्ष्मी सहगल
- डॉ. बी आर अम्बेडकर
- रानी गाइदिनल्यू
- पिंगली वेंकैया
- वीरपांडिया कट्टाबोम्मन
- बख्त खान
- चेतराम जाटव
- बहादुर शाह जफर
- मन्मथ नाथ गुप्ता
- राजेंद्र लाहिड़ी
- सचिंद्र बख्शी
- रोशन सिंह
- जोगेश चंद्र चटर्जी
- बाघा जतिन
- करतार सिंह सराभा
- बसावन सिंह (सिन्हा)
- सेनापति बापट
- कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी
- तिरुपुर कुमारन
- पर्बतीति गिरि
- कन्नेजंती हनुमंथु
- अल्लूरी सीताराम राजू
- भवभूषण मित्रा
- चितरंजन दास
- प्रफुल्ल पांव!!
15 August | 15 August Indian Independence Day | Indian 75th independence day