[Hindi Moral Story]: एक बार एक स्थान पर घोषणा हुई कि हमारे क्षेत्र में स्वयं भगवान जी प्रसाद बांटने आ रहे हैं। उस प्रसाद में अनेक प्रकार के सेब होंगे। सभी लोग मिलकर के भगवान जी के आने की तैयारी जोरों शोरों से करने लगे। सभी लोगों ने मिलकर के बहुत बड़े मैदान को खूब सजाया और वहां पर भगवान जी के बैठने के लिए अच्छी व्यवस्था वगेरह की। अब अगले दिन भगवान जी भगवान जी उस स्थान पर आ गए। तत्पश्चात सभी लोग प्रसाद के लिए तैयार हो कर लाइन लगा कर खड़े हो गए। उसी लाइन में एक छोटी बच्ची भी थी। बच्ची बहुत ही ज्यादा उत्सुक थी क्योंकि वह पहली बार भगवान को देखने जा रही थी।
वह भगवान से मिलनेवाले प्रसाद सेब के साथ साथ भगवान के दर्शन की कल्पना से ही खुश थी। अब बहुत लंबी लाइन लगी हुई थी और वह बच्ची उसी लाइन के बीच में थी। धीरे धीरे सभी को प्रसाद मिल रहा था तो अंत में उसकी प्रतीक्षा भी समाप्त हुई। बहुत लंबी कतार में जब उसका नम्बर आया तो भगवान जी ने उसे एक बड़ा और लाल सेब दिया।
लेकिन जब वह बच्ची इस सेब को लेकर के आगे गई तो अचानक से उसका सेब उसके हाथ से छूट कर कीचड़ में गिर गया। वह बच्ची बहुत उदास हो गई। अब उसे दुबारा से लाइन में लगना पड़ेगा। दूसरी लाइन पहली से भी अधिक लंबी थी। लेकिन कोई और रास्ता नहीं था।
ईमानदारी
सब लोग ईमानदारी से अपनी बारी बारी से सेब लेकर जा रहे थे।अन्ततः वह बच्ची फिर से लाइन में लगी और अपनी बारी की प्रतीक्षा करने लगी।अब आधी क़तार को सेब मिलने के बाद सेब समाप्त होने लगे थे। तो बच्ची बहुत उदास हो गई।उसने सोचा कि उसकी बारी आने तक तो सारे सेब खत्म हो जाएंगे। लेकिन वह ये नहीं जानती थी कि भगवान के भंडार कभी रिक्त नही होते। जब तक उसकी बारी आई तो और भी नए सेब आ गए थे।भगवान जी तो अन्तर्यामी होते हैं। बच्ची के मन की बात जान गए थे। उन्होंने इस बार उस बच्ची का नंबर आने पर उसको सेब देकर कहा कि बेटा पिछली बार वाला सेब एक तरफ से सड़ चुका था।
तुम्हारे लिए सही नहीं था इसलिए मैने ही उसे तुम्हारे हाथों गिरवा दिया था। दूसरी तरफ लंबी कतार में तुम्हें इसलिए लगाया क्योंकि नए सेब अभी पेडों पर थे। उनके आने में समय बाकी था। इसलिए तुम्हें अधिक प्रतीक्षा करनी पड़ी। ये सेब अधिक लाल, सुंदर और तुम्हारे लिए उपयुक्त है। भगवान की बात सुनकर बच्ची संतुष्ट हो कर गई और बहुत खुश भी हुई की भगवान जी हमारे बारे में कितना सोचते हैं और हम सभी को कितना अधिक प्रेम भी करते हैं।
“इसी प्रकार यदि आपके किसी काम में विलंब हो रहा है तो उसे भगवान की इच्छा मान कर स्वीकार करें। जिस प्रकार हम अपने बच्चों को उत्तम से उत्तम देने का प्रयास करते हैं। उसी प्रकार भगवान भी अपने बच्चों को वही देंगे जो उनके लिए उत्तम होगा। ईमानदारी से अपनी बारी की प्रतीक्षा करें जो भी फल मिलेगा वह अच्छा और और भी स्वादिष्ट होगा। इसीलिए कहते भी हैं की -सब्र का फल मीठा होता है।।”