“उत्तराखंड का प्योंली फूल और उस से जुड़ी एक प्रचलित कहानी” | Emotional Hindi Story | Reinwardtia indica

Sundriyal

Updated on:

रेनवर्डटिया इंडिका uttrakhand short emotional story in hindi

प्योली फूल क्या होता है और यह इतना प्रचलित क्यों है:- प्योली मध्य हिमालय में 1800 मीटर की ऊंचाई तक पाई जाती है। इस फूल की पांच पंखुड़ियां एक साथ चिपकी होती हैं। यह खेतों, दीवारों और ढलानों में खिलता है। प्योली का बाटनिकल नाम रेनवर्डटिया इंडिका है। इसकी पत्तियां घावों के भरने के काम भी आती हैं।

रेनवर्डटिया इंडिका uttrakhand short emotional story in hindi
यह फूल सर्दियों में खिलता है।जंगली प्रजाति का यह फूल जब खिलता है तो पूरे वातावरण में वसंत के आगमन का आभास हो जाता है।  यह फूल उत्तराखंड में बहुत प्रचलित है इस फूल की पूजा की जाती है तथा इसको 1 महीने तक सभी लोग अपने घर की सभी देहालियों में डालते हैं। इस त्योहार को उत्तराखंड में फूलदेई कहते हैं।यह उत्तराखंड का प्रसिद्ध लोक पर्व है। फूलदेई त्योहार बच्चों द्वारा मनाए जाने के कारण इसे लोक बाल पर्व भी कहते हैं। प्रसिद्ध त्योहार फूलदेई चैैत्र मास के प्रथम तिथि को मनाया जाता है। अर्थात प्रत्येक वर्ष मार्च 14 या 15 तारीख को यह त्योहार मनाया जाता है और यह पूरा पर्व 1 महीने तक चलता है।

      इस सुंदर फूल को यहां प्रेम का प्रतीक भी मानते हैं। यह एक गहरे पीले रंग का फूल होता है।बेहद ही सुंदर और मनमोहक इस फूल का जिक्र बहुत से लोक कवियों और गायकों ने अपनी रचनाओं में उकेरा ही नही बल्कि इसे खुद में जिया भी है।

Emotional Hindi Story “प्योली के फूल की अमर कहानी”

रेनवर्डटिया इंडिका uttrakhand short emotional story in hindi


उत्तराखंड की एक रूपवती कन्या थी। वह अपने आस-पास के सभी पेड़-पौधों, फूलों और जानवरों से बहुत प्यार करती थी। वहां के पेड़-पौधे, फूल और सभी जानवर भी प्योली से बहुत लगाव रखते थे।
एक समय की बात है एक राजकुमार उसी जंगल में आखेट के लिए आया। राजकुमार ने दिन भर आखेट किया और आखेट करते करते उसे वहीं जंगल में रात हो गई। राजकुमार पास के गांव में गांव वालों से शरण लेने के लिए गया। वहां उसने प्योली को देखा। राजकुमार प्योली की खूबसूरती पर मंत्रमुग्ध हो गया। राजकुमार को प्योली से प्यार हो गया।
राजकुमार प्योली से शादी करने का मन बना लेता है। फिर राजकुमार की शादी प्योली के साथ हो जाती है और राजकुमार उसको लेकर अपने देश को चला जाता है।
हरे-भरे माहौल में रहने वाली प्योली अब सीधे महलों में चली गई। प्योली को वहां का माहौल पसंद नही आया। उसको अपने सभी साथियों पेड़-पौधों, जानवरों और फूलों की बहुत याद आती थी। बिना प्योली के वहां के पेड़-पौधे, जानवर और फूल भी दुखी रहने लगे। धीरे-धीरे वह मुरझा गए। प्योली को अपने मायके की बहुत याद आती थी। उसको महलों का राजसी जीवन बिलकुल भी पसंद नही आया।
महल में प्योली अपनी सास और पति से विनती करती रहती थी कि, उसको अपने मायके जाना है। परंतु, उन्होंने उसकी एक भी न सुनी। मायके की याद में प्योली तड़पने लगी उसकी तबियत खराब रहने लगी और एक दिन ऐसे ही उसकी मौत हो गई। राजकुमारी के इच्छानुसार उसको उसके गांव के पास ही दफना दिया गया। कुछ दिनों बाद जहां पर प्योली को दफनाया गया था वहा पर एक सुंदर पीले रंग का फूल खिल गया। जिसे लोगों ने प्यार से ‘प्योली का फूल’ नाम दिया।

लोगों का मानना है की तभी से पहाड़ों में प्योली की याद में फूलों का त्योहार ‘फूलदेई’ मनाया जाता है।

More Emotional Hindi Story

Leave a Comment