Happy Guru Purnima | Hindi Story

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Happy Guru Purnima | Hindi Story

3 July 2023 Guru Purnima

Hindi Story

गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागू पाय ।
बलिहारी गुरु आपनो, जिन गोविंद दियो बताय ।।

अर्थात्:- इस दोहे से तात्पर्य है कि यदि हमें कभी गुरु और भगवान दोनों ही एक साथ रास्ते में मिल जाएं तो हमें किसके पाव सर्वप्रथम छूने चाहिए। तो हमें सर्वप्रथम गुरु के पैर छूने चाहिए क्योंकि गुरु ने ही हमें भगवान को जानने का मार्ग दिखाया है।

Happy Guru Purnima | Hindi Story
विद्यार्थी को गुरु का आशीर्वाद
"नारद मुनि के गुरु"

एक समय की बात है

एक समय की बात है जब नारद मुनि किसी कार्य से श्री हरी विष्णु जी के पास आए हुए थे। विष्णु जी ने उनका खूब आदर सत्कार किया और माता लक्ष्मी के स्थान पर उन्हें बिठाया । कार्य समाप्त होने के बाद जब नारद मुनि वहां से चले गए तो भगवान विष्णु ने लक्ष्मी जी से कहा की यह स्थान अशुद्ध हो गया है आप पहले यहां पर गोबर से पुताई कर दीजिए। नारद जी ने यह सब बाहर से सुन लिया।

यह सब सुनकर वह पुनः अंदर आए और विष्णु जी से कहा हे प्रभु जब मैं यहां पर आया तो आपने मेरी खूब आवभगत की और जब मैं चला गया तो आपने कहा की जहां पर मैं बैठा हुआ था उस स्थान को साफ करवाओ।

इस पर विष्णु जी ने कहा कि नारद जी आपका कोई भी गुरु नही है आप निगुरे हो इसलिए मैंने आपके स्थान को साफ करने के लिए कहा।
नारद जी ने कहा प्रभु मैं किसको अपना गुरु बनाऊं?

भगवान विष्णु ने कहा कि कल सुबह तुम पृथ्वी लोक में जाना और वहां जाने के पश्चात तुम्हारी जिस व्यक्ति से भी प्रथम भेंट होगी, वही तुम्हारा गुरु होगा।

नारद जी भगवान विष्णु से इजाजत लेकर वहां से चले गए। अब जैसा प्रभु ने कहा था वैसे ही नारद जी अगले दिन धरती पर आ गए। उन्होंने एक व्यक्ति को देखा और देखकर ही तुरंत झुककर उस व्यक्ति को प्रणाम किया। उस व्यक्ति को उन्होंने “गुरु” कहकर संबोधित भी किया।

लेकिन जब उन्होने उस व्यक्ति को ध्यान पूर्वक देखा तो नारद जी दंग रह गए। क्योंकि जिस व्यक्ति को उन्होंने अपना गुरु माना था वह एक मछुआरा था। उसके कंधे पर मछली मारने वाला जाल था। इससे प्रतीत हुआ वह मछली मारने का रोजगार करता है। नित्यप्रति के भांति वह मछली मारने जा रहा था।

नारद जी ने उस मछुआरे को अपना गुरु मानने से इनकार कर दिया और नारद जी वापिस विष्णु जी के पास आ गए। उन्होंने आते ही विष्णु जी से कहा कि प्रभु आपने मुझे यह क्या रास्ता बताया। मैं जब सुबह गुरु की खोज में गया तो मुझे मेरे गुरु के रूप में एक निम्न जाति का मछुआरा ही मिल पाया।

मैं उसे अपना गुरु नही मानता हूं वह एक मामूली सा मछुआरा वह क्या मेरा गुरु बनेगा, वह मेरे गुरु बनने के काबिल नही है यह सब नारद जी ने विष्णु जी से कहा।

नारद जी की इन सब बातों से विष्णु जी बहुत क्रोधित हुए और उन्होंने क्रोधित होकर नारद जी को 84 लाख योनियों में भटकने का श्राप दे दिया। यानी नारद जी को 84 लाख जीव जंतुओं में बार -बार जन्म लेना पड़ेगा। तभी उन्हें स्वर्ग में वापसी होगी।

विष्णु जी के श्राप से नारद जी बहुत चिंतित हो गए तथा भगवान से छ्मा मांगी और इस श्राप से मुक्ति पाने का उपाय भी उन्होंने तुरंत ही पूछ लिया। तब भगवान विष्णु जी ने कहा कि इस श्राप से मुक्त होने का उपाय तुम्हे तुम्हारा गुरु ही बता सकता है।

नारद जी तुरंत ही स्वर्ग लोक से उस मछुआरे की कुटिया पर आ पहुचें। उन्होंने अपने गुरु को सारी बात बता दी, उसके बाद उन्होंने कहा कि गुरूवर मुझे 84 लाख योनियों में भटकने से बचने का उपाय बताओ।

तब उस मछुआरे ने कहा कि आप भगवान विष्णु जी के पास जाएं और उनसे विनती करें की हे प्रभु आप जमीन पर 84 लाख योनियाँ बना दीजिए और मैं उनके चक्कर लगा कर आपके इस श्राप से मुक्ति पा लूंगा।

गुरु और छात्र

नारद जी के कहने पर भगवान विष्णु ने धरती पर 84 लाख योनियां बना दी। नारद जी ने जमीन में लेट कर श्रद्धा पूर्वक उन सभी 84 लाख योनियों में चक्कर लगा दिया और इस श्राप से मुक्ति पाई।

उसके पश्चात नारद जी ने उस मछुआरे के पास आकर उनसे प्रार्थना कि वह उन्हें माफ़ कर दे। आज से वही उनके गुरु हैं।

तत्पश्चात नारद जी विष्णु जी के पास आए तो उन से भी नारद जी ने क्षमा मांगी। तब विष्णु भगवान जी ने कहा क्यू नारद मुनि अब आपको समझ में आ गई बात। आप तो कह रहे थे की वह एक तुच्छ सा मछुआरा है। आज उसी की वजह से आप श्राप मुक्त हुए हैं। नारद जी ने कहा सब समझ गया प्रभु सब समझ गया कि गुरु छोटा या बड़ा नही होता, ऊंचा या नीचा नही होता। यह सब कहकर नारद जी अपने स्थान को वापिस चले गए।

दोस्तों यही सत्य है गुरु कभी भी छोटा या बड़ा नही होता है या उसकी कोई जात नही होती है। जिसको सीखने की इच्छा होती है वह किसी भी इंसान से सीख सकता है। शिक्षा तो एक छोटे बच्चे से भी ली जा सकती है अगर वह शिक्षा अच्छी हो तो। सीखने की उमर नही होती है इंसान कभी भी कुछ भी सीख सकता है बस एक दृढ़ निश्चय होना चाहिए।।

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