Hindi Emotional Story
निर्जला एकादशी व्रत से तो सभी लोग परिचित हैं ही इस व्रत में लोग बिना कुछ अन्न एवम जल ग्रहण पूरे एक दिन रहते हैं तथा रात्रि जागरण के बाद अगली सुबह को ही लोग कुछ खा पाते हैं।
इसी व्रत से जुड़ी एक कहानी है :- तो कहानी शुरू होती है निर्जला एकादशी व्रत के अगले दिन जब एक भिखारी एक एक सज्जन की दुकान पर भीख मांगने पहुंचा। सज्जन व्यक्ति ने उसे जेब से निकाल कर 1 रुपये का सिक्का थमा दिया।अब भिखारी को प्यास भी लगी थी, तो वह बोला बाबूजी एक गिलास पानी भी पिलवा दीजिए गला सूखा जा रहा है।फिर क्या था उन सज्जन व्यक्ति को गुस्सा आ गया और उन्होंने गुस्से में कहा: हम यहां तुम्हारे बाप के नौकर बैठे हैं क्या ? पहले तुम्हे पैसे दो, फिर अब पानी दो, थोड़ी देर में रोटी मांगने लगेगा, चल भाग यहाँ से।भिखारी बोला: बाबूजी गुस्सा मत कीजिये मैं आगे कहीं पानी पी लूंगा। पर जहां तक मुझे याद है, कल आपने निर्जला एकादशी व्रत कथा का पाठ किया था, तथा कल इसी दुकान के बाहर मीठे पानी की छबील लगी थी और आप स्वयं राह चलते लोगों को रोक रोक कर जबरदस्ती अपने हाथों से गिलास पकड़ा रहे थे। मुझे भी कल आपके हाथों से दो गिलास शर्बत पीने को मिला था। मैंने तो यही सोचा था कि,आप बड़े धर्मात्मा आदमी है, पर आज मेरा भरम टूट गया है।भिखारी ने फिर कहा कल की छबील तो शायद आपने लोगों को दिखाने के लिये लगाई होगी? कि देखो मैने तो व्रत रखा है और मेरे पास रुपए भी बहुत हैं। आपने कल यह सब शायद भगवान जी को प्रसन्न करने के लिए किया होगा। मुझे आज आपने कड़वे वचन बोलकर अपना कल का सारा पुण्य खो दिया है। मुझे छमा करना अगर मैं कुछ ज्यादा बोल गया हूँ तो।सज्जन व्यक्ति को भिखारी की यह बात दिल पर लग गई, उसकी नजरों के सामने बीते दिन का प्रत्येक दृश्य घूम गया। उसे अपनी गलती का अहसास हो रहा था। वह सज्जन व्यक्ति स्वयं अपनी गद्दी से उठा और अपने हाथों से गिलास में पानी भरकर उस भिखारी को देते हुए उस से क्षमा प्रार्थना करने लगा।भिखारी ने कहा: बाबूजी मुझे आपसे कोई शिकायत नही है, परन्तु अगर मानवता को अपने मन की गहराइयों में नही बसा सकते तो एक-दो दिन किये हुए पुण्य कार्य व्यर्थ ही हैं। मानवता का मतलब तो हमेशा शालीनता से मानव व जीव की सेवा करना है।खैर आपको आपकी गलती का अहसास हो गया ये आपके व आपकी सन्तानों के लिये अच्छी बात है।
आपका परिवार हमेशा स्वस्थ व दीर्घायु बना रहे ऐसी मैं कामना करता हूँ।सज्जन व्यक्ति ने कहा की आपका बहुत बहुत धन्यवाद बाबा जी अगर आप मुझे यह नही समझाते तो मुझे यह सब कभी समझ में नही आता की अगर मैं साल भर हजारों गलत काम कर रहा हूं और उसी साल में एक दिन मैं पुण्य का काम कर रहा हूं तो उस पुण्य से मुझे कोई फायदा नही होगा। सज्जन व्यक्ति ने उस भिखारी बाबा को प्रणाम किया और भिखारी वहां से आगे के लिए बढ़ गया।उस सज्जन व्यक्ति ने तुरंत अपने बेटे को आदेश देते हुए कहा: बेटा कल से दो घड़ों में पानी दुकान के आगे, आने जाने वालों के लिये जरूर रखे होने चाहिए। बेटे ने भी उत्तर दिया ठीक है पिताजी। उस सज्जन को अपनी गलती सुधारने पर बहुत खुशी हो रही थी।।