यादगार शाम |  Hindi Emotional Story

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Hindi Emotional Story, Yaadgar sham

शाम का समय था बेटे ने पिता से कहा पिता जी आज मौसम बहुत अच्छा है तो क्यों न हम सब टहल कर आ जाएं। पिता ने पुत्र के कहने पर हां कह दिया। पुत्र ने अपनी मां से भी साथ चलने को कहा परंतु मां कुछ काम में व्यस्त थी तो मां ने कहा बेटा आप दोनो ही घूम कर आ जाओ।

पिता और पुत्र दोनो निकल गए। बेटा अभी लगभग चौदह पंद्रह साल का होगा। उसका नाम राजा था। वे दोनो टहलते टहलते शहर से दूर खेतों की तरफ निकल आये थे।

तभी राजा की नजर एक जोड़ी पुराने जूतों पर पड़ी। वह जूते खेतों के पास रास्ते में उतरे हुए थे। जूते दिखने में काफी गंदे लग रहे थे और फटे हुए भी थे। राजा ने आस पास नजर दौड़ाई तो उसने देखा रास्ते के बगल में कुछ दूरी पर एक किसान अपने खेत में काम कर रहा है। यह जूते संभवतः उसी किसान के होंगे राजा ने सोचा।

पुत्र राजा को मजाक सूझा उसने अपने पिता से कहा – पिता जी क्यों न आज की शाम को एक छोटी सी शरारत के साथ थोड़ा यादगार बनायें, आखिर मस्ती ही तो आनन्द का सही स्रोत है।

पिता ने असमंजस से बेटे की ओर देखा और फिर पूछा बेटा कैसी शरारत?

पुत्र बोला – पिता जी हम ये जूते कहीं छुपा देते हैं और खुद भी झाड़ियों के पीछे छुप जायेंगे। जब वो किसान इन जूतों को यहाँ नहीं देखेगा तो वह घबराएगा और हम यह सब देख कर उसके मजे लेंगे। उसकी तलब देखने लायक होगी, और इसका आनन्द मैं जीवन भर याद रखूंगा।

पिता, पुत्र की बात को सुन कर गम्भीर हुये और बोले – बेटा !किसी गरीब और कमजोर के साथ उसकी जरूरत की वस्तु के साथ इस तरह का भद्दा मजाक कभी नही करना चाहिए।

जिन चीजों की तुम्हारी नजरों में कोई कीमत नहीं, वो उस गरीब के लिये बेशकीमती है। तुम्हें ये शाम यादगार ही बनानी है, तो आओ आज हम इन जूतों में कुछ रुपए डाल दें और छुप कर देखें कि इसका किसान पर क्या प्रभाव पड़ता है।

बेटे ने पिता की बात सुनी और कहा चलो पिता जी आज यह भी करके देख लेते हैं की आखिर वह इन रुपयों का क्या करेगा?

दोनो ने ऐसा ही किया पिता ने राजा को रुपए दिए और राजा ने वह दोनो जूतों के अंदर डाल दिए और दोनो पास में ही झाड़ियों में छुप कर किसान के आने का इंतजार करने लगे।

किसान जल्द ही अपना काम ख़त्म कर जूतों की जगह पर आ गया। उसने जैसे ही अपना एक पैर जूते में डाला तो उसे जूते में किसी चीज का आभास हुआ, उसने जल्दी से जूते को अपने हाथ में लिया और जूते में देखा तो उसे कुछ रूपये जो की जूतों के अंदर थे वह मिल गए। उसे बड़ा आश्चर्य हुआ और वो उन रुपयों को हाथ में लेकर बड़े गौर से देखने लगा।

फिर वह इधर-उधर देखने लगा कि उसका मददगार शख्स कौन है ? दूर-दूर तक उसे कोई नज़र नहीं आया, तो उसने रुपए अपनी जेब में डाल लिए।

उसने वह जूता पहन लिया। अब वह दूसरा जूता पहन ने लगा तो उसे उसके अंदर भी किसी चीज का आभास हुआ। किसान को उस जूते के अंदर भी कुछ रूपये मिले।

किसान भाव विभोर हो गया। वो घुटनो के बल जमीन पर बैठकर आसमान की तरफ देख के फूट-फूट कर रोने लगा। वह हाथ जोड़ बोला – हे भगवान् ! आज आप ही किसी रूप में यहाँ आये थे।

समय पर प्राप्त इस सहायता के लिए आपका और आपके माध्यम से जिसने भी ये मदद दी, उसका लाख- लाख धन्यवाद। आपकी सहायता और दयालुता के कारण आज मेरी बीमार पत्नी को दवा और भूखे बच्चों को रोटी मिल सकेगी। तुम बहुत दयालु हो प्रभु ! आपका कोटि-कोटि धन्यवाद।

मै दिन भर खेतों में काम करने के बाद भी अपने बीवी बच्चों के लिए कुछ भी नही कर पता हूं और आज तो घर में अनाज का एक भी दाना नही था। आज मेरे घर वालों को भूखा ही सोना पड़ता, अगर किसी भले मानुष द्वारा यह सहायता नही मिलती।

यादगार शाम  |  Hindi Emotional Story

किसान की बातें सुन, राजा की आँखें भर आयीं। पिता ने पुत्र को सीने से लगाते हुयेे कहा – क्या तुम्हारी मजाक मजे वाली बात से जो आनन्द तुम्हें जीवन भर याद रहता उसकी तुलना में इस गरीब के आँसू और दिए हुये आशीर्वाद तुम्हें जीवन पर्यंत जो आनन्द देंगे वो उससे कम है, क्या ?

पिताजी.. आज आपसे मुझे जो सीखने को मिला है, उसके आनंद को मैं अपने अंदर तक अनुभव कर रहा हूँ। मन के अंदर एक अजीब सा सुकून है। आज के प्राप्त सुख और आनन्द को मैं जीवन भर नहीं भूलूँगा।

आज मैं उन शब्दों का मतलब समझ गया, जिन्हें मैं पहले कभी नहीं समझ पाया था। आज तक मैं मजा और मस्ती-मजाक को ही वास्तविक आनन्द समझता था, पर आज मैं समझ गया हूँ कि, लेने की अपेक्षा देना कहीं अधिक आनंददायी है।

किसान वहां से चला गया था और किसान के जाने के बाद राजा और उसके पिता भी वहां से घर के लिए चले गए। घर जाकर के राजा ने सबसे पहले अपनी मां को यह सारी बात बताई। मां ने भी बेटे को प्यार किया और मां भी इस काम से बहुत खुश हुई।।

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