किसी गाँव में एक मजदूर आदमी रहता था। उसके दो बेटे और एक बेटी थी – शुभम, शिवम और संगीता। मजदूर बहुत ही ज्यादा मेहनती था, वह हमेशा मेहनत से काम करके ही अपने घर को चलाता था।मजदूर के तीनों बच्चे हर रोज गाँव के बाहर स्थित एक स्कूल में पढ़ने जाते थे। मजदूर अपने तीनों बच्चों से बहुत ज्यादा और एक समान प्यार करता था। उसका यह सपना था कि उसके तीनों बच्चे पढ़-लिखकर अच्छे और बड़े आदमी बनें। वह यह चाहता था कि जैसे मैं आज मजदूर हूं तो मेरे बच्चे भी ऐसे न बनें, वह अच्छे इंसान बने और दर दर की ठोकरें न खाएं।तीनों बच्चे पढ़ने में भी अच्छे थे। तीनो सुबह स्कूल जाते, घर आकर अपने मां पिता की काम में मदद करते और शाम को खाना खाने से पहले तक अपनी पढ़ाई करते। तीनो बच्चों को तिल के लड्डू बहुत पसंद थे। इसलिए उनकी माँ उनके लिए काफी सारे लड्डू एक ही दिन बनाकर रख देती थी और वह जब स्कूल जाते थे तो तीनो को एक एक लड्डू रोज दिया करती थी। तीनो खुश होकर के लड्डू खाते हुए स्कूल जाते थे। माँ ने तीनों बच्चों को समझाया था कि उन्हें प्रतिदिन सिर्फ एक ही लड्डू मिलेगा, क्योंकि एक तो अत्यधिक मीठा खाने से दांत सड़ जाते हैं और ज्यादा मीठा खाना सेहत के लिए भी हानिकारक हो सकता है। माँ ने उन्हें ऐसा डराने के लिए भी कहा था ताकि जो लड्डू हैं वह ज्यादा समय तक चले और कुछ ही दिनों में खत्म न हो जाएं।एक दिन उनके घर पर कुछ मेहमान आए हुए थे। उनको चाय के साथ लड्डू देने के लिए जब माँ ने लड्डू का डिब्बा खोला तो वह दंग रह गई। डिब्बे में से आधे से अधिक लड्डू गायब थे। उनकी माँ तुरंत समझ गई कि उसके बच्चे लड्डू चोरी करके खा रहे हैं। उसे बहुत दुख हुआ।माँ ने ये बात अपने मजदूर पति को बताई। किसान को भी यह बात सुनकर बहुत दुख हुआ कि एक तो वह इतनी मेहनत करके अपने बच्चों को पढ़ा-लिखा है और उसके बच्चे यदि चोरी जैसा गलत काम करना सीख रहे हैं, तो उसके लिए यह बड़े ही शर्म और दुख की बात है। मजदूर को यह तो पता था की मेरे तीनो बच्चे तो गलत नही हैं इनमे से कोई एक या कोई दो ही ऐसा काम कर रहे हैं। अब किसान के लिए यह पता लगाना बहुत मुश्किल था कि उसका कौन-सा बच्चा लड्डू चोरी करके खा रहा है।
फिर अचानक किसान को एक बेहतरीन तरकीब सूझी। उसने अपनी पत्नी से कहा कि तुम एक बार और तिल के लड्डू बनाओ और उनमें से दो चार लड्डू के बीच में नीम के पत्तों का रस मिला दो। किसान कि पत्नी को भी यह तरकीब अच्छी लगी और उसने ऐसा ही किया।अब जब दूसरे दिन बच्चे स्कूल गए तो उनकी मां ने लड्डू बनाकर तैयार कर दिए थे। दोपहर के बाद जब तीनों बच्चे स्कूल से लौटकर घर आए, तो माँ ने उन्हें खाना खिलाया।खाना खिलाने के बाद उनकी मां घर के बाहर में बर्तन धोने लगी।जब तक वह बर्तन धोकर के अंदर आई तब तक उनका दूसरा बेटा शिवम घर के आंगन में आया और उसने वहीं पर सब खाया-पिया उलट दिया। शिवम का चेहरा उतरा हुआ था और उसकी आँखों से खूब पानी बह रहा था।यह देख कर उसके माता पिता वहां पर पहुंच गए। वे दोनों समझ गए कि उनका दूसरा बेटा शिवम ही है जो कि लड्डू चोरी करके खा रहा था।माँ ने पानी से शिवम का मुँह साफ कराया और उसे घर के अंदर ले गई। उस मजदूर ने अपने बड़े बेटे शुभम और छोटी बेटी संगीता को शिवम की करतूत बताई। तभी उन्होंने भी अपने पिता को बताया कि शिवम हर रोज स्कूल के रास्ते में पड़ने वाले बगीचे से फल चुराकर खाता है। यह जानकर मजदूर और उसकी पत्नी को और भी दुख हुआ।मजदूर ने क्रोधित होते हुए यह कहा कि कल से शिवम अब स्कूल नहीं जाएगा, वह मेरे साथ मिलकर मज़दूरों की तरह ही काम किया करेगा। यदि उसे चोर ही बनना है, तो उसे पढ़ाने-लिखाने से कोई फायदा नहीं है।
उधर शिवम की रो-रोकर हालत खराब थी। उसको अपनी गलती का अहसास हो चुका था। उसने अपनी गलती स्वीकार कर ली। शिवम ने अपने माता-पिता से माफी माँगते हुए कहा कि वह आगे से कभी भी चोरी नहीं करेगा।पिता ने उसे समझाते हुए कहा- “देखो बेटा, चोरी करोगे तो अपमान ही मिलेगा। यदि सम्मान चाहते हो, तो अच्छे काम करने पडे़गे। अब तुम्हें खुद फ़ैसला करना है कि तुम्हें अपमान चाहिए या सम्मान।”शिवम ने निश्चय किया कि वह अब ऐसा कोई काम नहीं करेगा जिससे उसके माता-पिता को दुख हो या उसे अपमान मिले। उसकी प्रार्थना पर मजदूर ने उसे क्षमा कर दिया। इसके बाद उसने कभी चोरी नहीं की।”चोरी करना एक बहुत ही गलत आदत है। भले ही हम यह सोचें की हम तो बहुत छोटी चोरी कर रहे हैं परंतु यह छोटी चोरी ही आगे चलकर के बहुत बड़ी बन जाती है। हम यह सोचते हैं की हमको चोरी करते हुए किसी ने नहीं देखा परंतु वह भगवान ऊपर से सब कुछ देख रहा है हमारे सभी पाप देख रहा है। तो हम सबको कभी भी कोई भी चोरी नही करनी चाहिए।।