गुरु से ली गई एक अच्छी प्रेरणा- Hindi Moral Story

Sundriyal

Updated on:

Hindi Moral Story Class room

Hindi Moral Story

एक बार एक व्यक्ति बाजार में समान खरीद रहा था। उसका नाम विनोद था। सामान लेते समय अचानक उसकी नजर सड़क पर चलती एक महिला पर पड़ी। महिला एक हाथ में कुछ थैले थे और वह चली आ रही थी। विनोद महिला की तरफ खुशी से आगे बढ़ा। महिला के पास पहुंचते ही विनोद ने उस महिला के आदरपूर्वक पांव छुए। महिला ने कहा बेटा आप कौन मैने पहचाना नही? विनोद ने कहा- “मैं आपका विद्यार्थी हूं मैम।” महिला बड़े प्यार से कहती है- “अरे वाह! आप मेरे विद्यार्थी रहे है? बेटा अभी आप क्या करते हो, क्या बन गए हो?” विनोद ने कहा- “मैम मैं भी एक टीचर बन गया हूँ और इसकी प्रेरणा मुझे आपसे ही मिली थी, जब में नौवर्ष का था।”उस टीचर को बड़ा आश्चर्य हुआ और वे बोली- “बेटा मुझे तो अब आपकी शक्ल भी याद नही आ रही है, उस उम्र में आपको मुझसे कैसी प्रेरणा मिली थी?

विनोद ने कहा- “मैम यदि आपको याद हो तो जब में चौथी क्लास में पढ़ता था। तब एक दिन कक्षा में एक घड़ी चोरी हुई थी। वह घड़ी बहुत महंगी थी, जिसकी चोरी होने की आपसे शिकायत की गई थी। फिर आपने उसी समय क्लास में आकर के दरवाजा बन्द करवाया और सभी बच्चो को क्लास में पीछे एक साथ लाइन में खड़ा होने को कहा था। फिर आपने सभी बच्चों के बैग और जेबें टटोली थी।आपको मेरे जेब से घड़ी मिल गई थी जो मैंने चुराई थी। पर चूंकि आपने सभी बच्चों को अपनी आंखें बंद रखने को कहा था, तो किसी को पता नहीं चला था कि वह घड़ी मैंने चुराई थी।

सज़ा की घटना

मैम हैरान हो गयी और घटना के बारे में सोचने लगी। कुछ देर बाद मैम को क्लास रूम में घटी घटना याद आ गई। कुछ देर बाद मैम को क्लास रूम में घटी घटना याद आ गई। बेटा आपको इतनी पुरानी बात कैसे याद आ रही है? मैम, ये तो मुझे भी नहीं पता किसने चुराई थी। और बोलने लगी चोरी करना तो गलत है। मुझे कुछ पता नहीं है उसका घटना का ज्यादा। विनोद ने कहा- उस दिन ने मेरा सोच बदल दिया था। और मैंने कभी चोरी नहीं की। आपको मैं सब बताता हूं।

मैम उस दिन आपने मुझे लज्जा व शर्म से बचा लिया था और इस घटना के बाद कभी भी आपने अपने व्यवहार से मुझे यह नही लगने दिया कि मैंने एक गलत कार्य किया था। आपने बिना कुछ कहे मुझे क्षमा भी कर दिया और दूसरे बच्चे मुझे चोर कहते इससे भी बचा लिया था।ये सब सुनकर टीचर बोली, बेटा मुझे भी नही पता था कि वह घड़ी आखिर किसने चुराई थी। विनोद बोला,- “नहीं मैम, ये कैसे संभव है? आपने स्वयं अपने हाथों से चोरी की गई घड़ी मेरे जेब से निकाली थी।”टीचर बोली:- “बेटा मैं जब सबके पॉकेट चेक कर रही थी, उस समय मैने कहा था कि सब अपनी आंखे बंद रखेंगे, और वही मैंने भी किया था, मैंने स्वयं भी अपनी आंखें बंद रखी थी।”यह सब सुनकर के विनोद को उसकी मैम पर और भी गर्व हुआ और वह भावुक भी हो गया था।विनोद ने कहा- मैम यहीं पर मेरा घर है आप घर पर चलिए एक बार मैं मेरे बच्चों से आपको मिलवाना चाहता हूं और यही शिक्षा देना चाहता हूं। फिर वह दोनो विनोद के घर को चले गए।”एक गुरु को ऐसा ही होना चाहिए, ऐसे ही होना चाहिए घर के बुजुर्ग, गांव के मुखिया सभी को जो सबको एक नजर से देखे और समानता लाए, कमियों को दूर करे और खूबियों को निखारे।।”

Teachers are the gifts of god who make our career and guide us towards success.

@divyasundriyal
More Hindi Moral Story

Leave a Comment