मुझे कितना ऊपर उठना चाहिए? | Hindi Moral Story

Bavaali post

Updated on:

Hindi Moral Story, a young and alone man

Hindi Moral Story: सागर नाम का एक व्यक्ति था। वह एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता था। उसने बचपन से लेकर आज तक अपनी जिंदगी में बहुत ज्यादा स्ट्रगल देखा था। वह सोचता था कि बचपन से आज तक मैं स्ट्रगल ही करता आ रहा हूं और इतना सब कुछ करने के बाद भी मुझे आखिर क्या मिलता है कुछ भी नही।

वह बचपन से ही पढ़ाई में काफी अच्छा था और साथ साथ ही घर के कामों में भी मदद करवाता था। परंतु इस सब के बाद भी जिंदगी में उसे वह मुकाम नही मिला जहां वह जाना चाहता था। उसको एक प्राइवेट नौकरी ही करनी पड़ी। वह हर रोज बारह घंटे की नौकरी करता था और उसके बाद भी उसे ढंग के रुपए नहीं मिल रहे थे और जो मिल भी रहा था तो उस से उसके घर के खर्चे पूरे ही नही होते थे।

सागर अपनी जिंदगी से बहुत परेशान था इसी सब के बीच एक दिन उसके पिता की अचानक मौत हो गई। सागर को इस बात से बहुत सदमा लगा। पिता की मौत के कुछ समय बाद वह संभला और उसने अपनी मां को भी संभाला। धीरे धीरे सब ठीक ही हो रहा था की अचानक उसकी मां की भी किसी बीमारी के कारण मृत्यु हो गई।

अब सागर पर इस सब का बहुत बुरा असर हुआ, वह धीरे धीरे डिप्रेशन में जाने लगा। वह ऑफिस तो जाता था परंतु उसका मन काम में नही लगता था।

सागर को यह नौकरी बड़ी मुश्किल से मिली थी तो वह इसको छोड़ना भी नही चाहता था। परंतु उसका जीवन जिस कठिनाई से गुजर रहा तो इसी सब के चलते उसने एक दिन अपनी नौकरी छोड़ने और अपना जीवन समाप्त करने का फैसला किया। सागर को ऐसा लग रहा था कि अब उसके जीने का कोई कारण नहीं है।

उसने अपनी नौकरी, अपनी आध्यात्मिकता… सब कुछ छोड़ दिया… और अब वह अपना जीवन छोड़ना चाहता था।

परंतु अपने जीवन को छोड़ने से पहले वह एक बार भगवान जी से आखिरी बार बात करना चाहता था। तो उनसे बात करने के लिए एक दिन वह एक घने जंगल में पहुंच गया।

सागर ने भगवान जी से पूछा -” हे! भगवान”,

“क्या आप मुझे नौकरी न छोड़ने का एक अच्छा कारण बता सकते हैं?”

भगवान जी ने जो जवाब दिया उस जवाब ने सागर को चौंका दिया…।

उन्होंने कहा- ” अपने चारों ओर देखो”, “क्या तुम्हें फर्न और बांस दिखाई दे रहे हैं?”

सागर – “हाँ”।

भगवान जी – “जब मैंने फर्न और बांस के बीज लगाए, तो मैंने उन दोनो की ही बहुत अच्छी देखभाल की थी। मैंने उन्हें रोशनी दी। मैंने उन्हें पानी दिया, परंतु हुआ यह की फर्न तेजी से धरती से उग आया। इसके चमकीले हरे रंग ने जमीन को ढक दिया और दूसरी तरफ बाँस के बीज से कुछ भी नही निकला।

लेकिन मैंने बांस का सहारा नहीं छोड़ा। दूसरे वर्ष में फ़र्न अधिक जीवंत और प्रचुर मात्रा में विकसित हो गया था परंतु, फिर भी बांस के बीज से कुछ भी नही निकला। लेकिन मैंने बांस पर अपना भरोसा नहीं छोड़ा।

अब तीसरे साल में भी बांस के बीज से कुछ नहीं निकला। लेकिन मैंने तब भी हार नहीं मानी।

चौथे वर्ष में भी बांस के बीज से कुछ भी नहीं हुआ। परंतु मुझे अपनी मेहनत पर पूरा भरोसा था तो मैंने उसका साथ तब भी नहीं छोड़ा।

“फिर पाँचवें वर्ष में मेरी मेहनत का फल आखिरकार मुझे मिल ही गया। पांचवे वर्ष में पृथ्वी से एक नन्हा अंकुर निकला।”

फ़र्न की तुलना में यह अत्यधिक छोटा और महत्वहीन प्रतीत होता था…लेकिन केवल 6 महीने बाद ही बांस 100 फीट से अधिक ऊँचा हो गया।

बांस ने अपनी जड़ें बढ़ाने में और उन्हे मजबूत करने में पांच साल बिताए थे। उन जड़ों ने इसे मजबूत बनाया और इसे जीवित रहने के लिए जो भी आवश्यक था वह दिया। जिसके कारण आज यह इतना ऊपर है। अगर मैं पहले ही साल में उस बांस पर मेहनत करना छोड़ देता तो आज यह पेड़ इतना ऊपर नही उठा होता।

इसी प्रकार “मैं अपनी किसी भी रचना को ऐसी चुनौती नही दूंगा जिसे वह संभाल न सके।”

भगवान जी ने मुझसे पूछा – “क्या तुम जानते हो बेटा कि इस पूरे समय जब तुम संघर्ष कर रहे हो, तुम वास्तव में अपनी जड़ें विकसित कर रहे हो।”

जिस प्रकार मैंने उस ” बांस पर हार नही मानी थी उसी प्रकार मैं अपने किसी भी बच्चे पर कभी हार नही मानता हूं।”

भगवान ने सागर को समझाते हुए कहा कि – “कभी भी दूसरों से अपनी तुलना न करें।” बांस का फ़र्न से अलग उद्देश्य था इसीलिए उसने बहुत संघर्ष किया और आखिर में वह सफल भी हुआ।

“फिर भी वे दोनों ही जंगल को सुंदर बनाते हैं।”

“तुम्हारा समय आएगा” और “आप ऊंचे उठेंगे”। भगवान ने सागर से कहा।

सागर ने भगवान की सारी बात सुनकर कहा “मुझे कितना ऊपर उठना चाहिए?”

भगवान जी – “बांस कितना ऊंचा उठेगा?”

सागर – “जितना ऊँचा हो सकता है?”

भगवान जी – “हाँ”! “जितना ऊपर उठ सको, उठकर मुझे महिमा दो।”

यह सब सुनकर सागर को आत्मविश्वास मिला और उसने भगवान जी का धन्यवाद किया। उसके बाद वह जंगल से वापिस आ गया। सागर ने उस दिन से अपने काम के प्रति लगाव रखा और पहले से भी ज्यादा मेहनत की। सागर को कुछ समय बाद ही उसकी मेहनत का फल मिल गया।

मुझे आशा है कि इस कहानी से आपको यह सीख जरूर मिली होगी कि भगवान आपको कभी नहीं छोड़ेंगे…… कभी भी नहीं, कभी हार मत मानो। अपने काम को निष्ठा से करो चाहे वह छोटा हो या बड़ा। अगर हम लगातार किसी काम पर मेहनत करेंगे तो हमें उसका फल एक न एक दिन जरूर मिलता है। कहते हैं ना कि – “भगवान के घर देर है अंधेर नही।”

“अगर आपकी इच्छा से कोई काम हो रहा है तो वह अच्छा है और अगर आपकी इच्छा के अनुसार काम नही हो रहा है तो वह और भी अच्छा क्योंकि वह काम फिर भगवान की इच्छा के अनुसार होगा और भगवान ने हमारे लिए जो भी सोचा होता है वह हमेशा सही होता है।

इसीलिए अगर जीवन में कोई काम नही हो रहा हो तो अपनी जिंदगी को खत्म मत कीजिए भगवान पर भरोसा रखिए और मेहनत कीजिए। मेहनत का फल एक न एक दिन जरूर मिलता है।

More read: Hindi Moral Story

Leave a Comment