“एक बहतरीन शिक्षा ” चिकित्सक Hindi Story

Sundriyal

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Patient

Hindi Story एक अस्पताल मे एक्सीडेंट का एक केस आया। अस्पताल का मालिक बहुत बड़ा आदमी था। पेशे से वह भी डॉक्टर ही था। उस अस्पताल के मालिक डॉक्टर ने तत्काल खुद आईसीयू में जाकर केस की अच्छे से जांच की। वह व्यक्ति बहुत ही गंभीर हालत में था। उसका ऑपरेशन कम से कम दो-तीन घंटे तक चला। ऑपरेशन के बाद वह डॉक्टर बाहर आया और उसने अपने स्टाफ से कहा कि इस व्यक्ति को किसी भी प्रकार की कोई भी कमी या तकलीफ नहीं होनी चाहिए और इस व्यक्ति से इलाज व दवा के कोई भी रुपए नही लिए जायेंगे।व्यक्ति की हालत बहुत बुरी थी तो उसे ठीक होने में तकरीबन 18 दिन तक लग गए थे। अब जब वह बिल्कुल ठीक हो गया और उसको डिस्चार्ज करने का दिन आया तो उस मरीज का बिल तकरीबन ढाई लाख रुपये का बना हुआ था। उस बिल को लेकर एक कंपाउंडर अस्पताल के मालिक के पास आया। पहले तो मालिक ने उस पर गुस्सा किया कि जब मैंने पहले दिन कहा था कि इस से रुपए नही लिए जायेंगे तो ये बिल क्यू बनाया? कंपाउंडर ने कहा कि आपके अकाउंट मैनेजर ने यह बिल बनाया है सर। फिर मालिक ने अकाउंट मैनेजर को बुलाया उसको भी डांटा और उसके बाद उस से कहा: इस व्यक्ति से एक भी रुपए नहीं लेना है। ऐसा करो कि तुम उस मरीज को लेकर मेरे चेंबर में आओ। मुझे उस से कुछ बात करनी है।मरीज व्हीलचेयर पर उस डॉक्टर के केबिन में लाया गया। डॉक्टर ने मरीज से पूछा सुरेश भाई! मुझे पहचान पा रहे हो या नही! मरीज ने कहा लगता तो है कि मैंने आपको कहीं तो देखा है।डॉक्टर ने कहा: याद करो, आज से लगभग तीन चार साल पहले की बात है।

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पिकनिक

मैं मेरी पत्नी और मेरे दो बच्चे पिकनिक मनाने गए थे। वहां से लौटते लौटते हमें काफी देर हो गई थी और अंधेरा होना शुरू हो गया था। हमारी गाड़ी शहर से दूर एक जंगल में खराब हो गई थी और तुम्ही ने हमारी गाड़ी को ठीक किया था। दरअशल हमारी गाड़ी में चलते चलते धुआं आने लगा था और गाड़ी बंद पड़ गई थी। हम लोगों ने चालू करने की बहुत कोशिश की, परंतु कार चालू नहीं हुई।घना अंधेरा होने वाला था। वहां आस पास कोई भी नही दिख रहा था। चारों ओर जंगल और सुनसान था। मेरी पत्नी और बच्चे बहुत डर रहे थे। उनके चेहरे पर चिंता और भय की लकीरें दिखने लगी थी और हम सब भगवान से बस यही प्रार्थना कर रहे थे कि कोई मदद मिल जाए।और थोड़ी ही देर में हमने किसी को साइकिल पर आते हुए देखा। जब वह व्यक्ति हमारे समीप आया तो हम सब ने उसे दया की नजर से हाथ ऊंचा करके रुकने को कहा और वह व्यक्ति रुक गया। वह व्यक्ति और कोई नही तुम ही थे सुरेश भाई। अब कुछ याद आया तुम्हे?. सुरेश ने गर्दन हिलाते हुए कहा की हां थोड़ा थोड़ा तो याद आ रहा है। फिर डॉक्टर साहब ने आगे की कहानी बताई कि तुमने अपनी साइकिल बगल में खड़ी कर के हमारी परेशानी का कारण पूछा। फिर हमने तुम्हे बताया तो तुमने तुरंत ही कार का बोनट खोलकर चेक किया और कुछ ही क्षणों में कार चालू कर दी। हम सबके चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई। हमको ऐसा लगा कि जैसे भगवान ने आपको हमारे पास भेजा है क्योंकि उस सुनसान जंगल में रात गुजारने के ख्याल मात्र से ही हमारे रोगंटे खड़े हो रहे थे।फिर तुमने ही मुझे बताया था कि तुम एक गैराज चलाते हो। मैंने तुम्हारा आभार जताते हुए कहा था कि रुपए पास होते हुए भी ऐसी मुश्किल समय में मदद नहीं मिलती।

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Doctor

तुमने ऐसे कठिन समय में हमारी मदद की, इस मदद की कोई कीमत नहीं है, यह अमूल्य है। परंतु फिर भी मैंने पूछा था की भाई बताओ मैं आपको इसके कितने रुपए दूं? उस समय तुमने मेरे आगे हाथ जोड़कर जो शब्द कहे थे, वह शब्द मेरे जीवन की प्रेरणा बन गये हैं।तुमने कहा था: मेरा नियम और सिद्धांत है कि मैं मुश्किल में पड़े व्यक्ति की मदद के बदले कभी कुछ नहीं लेता। मेरी इस मजदूरी का हिसाब भगवान् जी रखते हैं।उसी दिन से मैंने सोचा कि जब एक सामान्य आय का व्यक्ति इस प्रकार के उच्च विचार रख सकता है, और उनका दृढ़ निश्चय पूर्वक पालन कर सकता है, तो यह मैं क्यों नहीं कर सकता हूं और तभी से मैंने भी अपने जीवन में यही संकल्प ले लिया है। आज लगभग तीन साल से भी ऊपर हो गए है, मुझे कभी कोई कमी नहीं पड़ी, अपेक्षा पहले से भी अधिक मिल रहा है। यह अस्पताल मेरा है। तुम यहां मेरे मेहमान हो और तुम्हारे ही बताए हुए नियम के अनुसार मैं तुमसे कुछ भी नहीं ले सकता।ये तो भगवान की कृपा है कि उसने मुझे ऐसी प्रेरणा देने वाले व्यक्ति की सेवा करने का एक मौका मुझे दिया है। ऊपर वाले ने तुम्हारी मजदूरी का हिसाब रखा और वो हिसाब आज उसने चुका दिया। मेरी मजदूरी का हिसाब भी ऊपर वाला रखेगा और कभी जब मुझे जरूरत होगी, तो वो जरूर चुका देगा।डॉक्टर ने सुरेश से कहा: सुरेश भाई तुम आराम से घर जाओ, और कुछ दिन आराम के बाद अपना काम दोबारा शुरू कर सकते हो। तुम्हे कभी भी कोई भी तकलीफ हो तो बिना संकोच के मेरे पास आ सकते हो।”सुरेश ने जाते हुए उसी केबिन में रखी भगवान शिव की तस्वीर के सामने हाथ जोड़कर कहा कि, हे प्रभु! आपने आज मेरे कर्म का पूरा हिसाब ब्याज समेत चुका दिया है आपका बहुत बहुत धन्यवाद।।”

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