जाने हिसालू ( Hisalu ) | Hisalu Fruit | Hisalu Fruit in english Rubus ellipticus क्या है ?

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हिसालू ( Hisalu Fruit ) उत्तराखंड की पहाड़ियों के बीच छोटी छोटी कंटीली झाड़ियों में उगने वाला फल है। यह फल हर एक उत्तराखंड निवासी की बचपन की यादें समेटे हुए है। इसको गढ़वाल क्षेत्र में हिसर ( hisar ) नाम से जाना जाता है तथा कुमाऊँ क्षेत्र में इसे हिसालू ( hisalu ) नाम से जानते हैं।

हिसालू ( Hisalu ) | Hisalu Fruit in english Rubus ellipticus

हिसर ( Hisar ) को “हिमालय की रसबेरी” भी कहा जाता है। हिसर का लैटिन नाम ‘Rubus elipticus’ है। यह ‘rosaceae’ वर्ग की काँटेदार झाड़ीनुमा वनस्पति है।

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हिसर का फल छोटे छोटे , नारंगी रंग के रस भरे दानों से मिलकर बना होता है। कम पका हुआ हिसर हल्का खट्टा, मीठा होता है। लेकिन जो एक दम लाल पका होता है, वो एकदम मीठा और मुंह मे एकदम घुल जाता है।

हिसर मुख्य रूप से रुद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी, टिहरी, पौड़ी, अल्मोड़ा, बागेश्वर, चंपावत और पिथौरागढ़ के अनेक स्थानों में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। स्थानीय लोगों द्वारा इसका खूब सेवन किया जाता है।

हिसालू (Hisalu ) या हिसर ( Hisar ) भारत के लगभग सभी हिमालयी राज्यों में पाया जाता है। भारत के अलावा यह फल नेपाल, पाकिस्तान, पोलैंड, सर्बिया आदि देशों में भी पाया जाता है। विश्व मे हिसर की लगभग 1500 प्रजातियां पाई जाती है। हिसर जैसी दिव्य औषधीय गुणों से युक्त फल को संरक्षित करने के लिए इसे IUCN द्वारा World’s 100 worst invasive species में शामिल किया गया है।

हिसर दो प्रकार के होते हैं, एक पीला और एक काला। यह फल मई-जून के महीने में पकता है। स्वाद में खट्टा-मीठा यह फल इतना कोमल होता है कि हाथ से पकड़ते ही टूट जाता है। जीभ में रखो तो फिसल जाता है।

आमतौर पर हिसर 2500 से 7000 फ़ीट की उचाई पर मिलता है। लेकिन वर्तमान जलवायु परिवर्तन परिस्थितियों का प्रभाव हिसर ( Hisalu ) पर भी पड़ा है, जिसके कारण यह बहुत ज्यादा उचाई में उगने लगा है।

उत्तराखंड का पहाड़ी फल हिसर बहुत ही लाभदायक फल है। मगर यह कटीली झाड़ियों में उगता है। हिसर की झाड़ियों के कांटे बहुत ही खतरनाक होते हैं। इसी लिए उत्तराखंड कुमाऊँ के प्रसिद्ध कवि गुमानी पंत जी ने हिसालू ( Hisalu) एक कविता की कुछ लाइनों से इसका वर्णन किया है।

हिसालू की जात बड़ी रिसालू।

जा जाँ जाछे उधेड़ खाछे।।

यो बात को कवे गतो नि मानन,

दुद्याल गोरुक लात सैणी पडनछ।

अर्थात हिसालू की वनस्पति, बड़ी गुस्सेल होती है। जहॉ तहां खरोच लगा देती है। मगर कोई भी इस बात का बुरा नही मानता, क्योंकि दूध देने वाले गाय की लात भी सहन करनी पड़ती है।

हिसालू ( Hisalu ) के फायदे

“हिसालू में अनेक पोषक तत्व पाए जाते हैं। हिसालू में विटामिन सी , फाइबर , मैगनीज ,जिंक, आयरन, कैल्शियम, मैग्नेशियम, कार्बोहाइड्रेट प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। यह फल अत्यधिक मीठा होने के बावजूद भी इसमे शुगर की मात्रा एकदम कम होती है।”

उपरोक्त पोषक तत्वों के आधार पर हिसर/हिसालू ( Hisalu ) के निम्न औषिधि लाभ है:

  1. हिसर में प्रचुर मात्रा में विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है, जिससे हिसर सबसे अच्छा रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने वाला फल बन जाता है।
  2. हिसर के फलों से प्राप्त जूस का प्रयोग खांसी, गले का दर्द, बुखार इत्यादि में कारागार होता है।
  3. इसके तने की छाल का , तिब्बती चिकित्सा पद्वति में कामोत्तेजक दवाई के रूप में किया जाता है।
  4. हिसर के फल के नियमित उपयोग से किडनी की बीमारियों में लाभ मिलता है। तथा इससे नाड़ी दुर्बलता भी दूर की जाती है।
  5. हिसर मूत्र संबंधित बीमारियों तथा, योनिस्राव बीमारियों में लाभदायक माना जाता है।

यहां तक कि हिसालू की पत्तियां भी काफी काम की हैं। इसकी पत्तियों की ताजी कोपलों को ब्राह्मी की पत्तियों के साथ मिला कर पेप्टिक अल्सर भी जड़ से ठीक हो जाता है।

हिसर के फलों से प्राप्त एक्सट्रेक्ट के अंदर डायबिटीज या मधुमेह जैसी बीमारी को ठीक करने के गुण देखे गए हैं।

हिसर फल इतने सारे औषधीय गुणों से भरा हुआ है। यह बेहद कॉमन से फल हैं जो आसानी से बाजार में उपलब्ध होते हैं।

हिसालू (Hisalu ) या हिसर ( Hisar) के नुकसान

“हिसर एक पहाड़ी जंगली फल है। हिसर सभी दिव्य गुणों से युक्त है। वैसे इससे कोई नुकसान नही हैं। लेकिन इसके अधिक सेवन से पेट खराब की समस्या हो सकती है। अत्यधिक सेवन किसी भी चीज का नुकसान दायक होता है। इसलिये प्राकृतिक दिव्य फल का संतुलित उपयोग अमृत का लाभ दे सकता है।”

हिसालू (Hisalu ) शेक की रेसिपी

हिसर का सबसे अच्छा प्रयोग है , इसका शेक बना कर पिया जाय। हिसालू का शेक अति पौष्टिक और स्वादिष्ट होता है। खूब सारे हिसर इकट्ठा करके, गांव के शुद्ध दूध में मिला कर थोड़ी चीनी मिला कर बड़ा स्वादिष्ट दिव्य पेय बनता है। हिसर शेक पौष्टिक और स्वादिष्ट रेसिपी है। थोड़ा हिसर इकट्ठा करने में समय लगता है। लगभग आधा किलो हिसर जमा हो गए तो, गांव का शुद्ध दूध मिलाकर पौष्टिक दिव्य हिसर पे­य बना सकते हैं। प्रयोगधर्मिता के रूप में आप इसमे , केले या अन्य चीजें मिला कर ऐसे और स्वादिष्ट और पौष्टिक बना सकते हैं।”

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