कैलाश पर्वत के रहस्य | Kailash Parvat

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kailash parvat: कैलाश पर्वत (kailash mountain) एक बहुत ही ऊंची पर्वत श्रेणी है। यह पर्वत तिब्बत के पश्चिमी भाग में स्थित है। कैलाश पर्वत की समुद्र तल से ऊंचाई लगभग 6,638 मीटर यानी (21,778 फीट) है। हिन्दू सनातन धर्म में इस पर्वत को अत्यधिक पवित्र माना गया है। माना जाता है की कैलाश पर्वत में भगवान शिव का वास है। हिंदू धर्म के लोगों का मानना है की भगवान शिव वहां बर्फ में अंजान (ब्रह्म) तप में लीन शालीनता से शांत ,निष्चल ,अघोर धारण किये हुऐ एकांतवास में तप में लीन है।

कैलाश पर्वत (kailash mountain) एक बहुत ही ऊंची पर्वत श्रेणी है। यह पर्वत तिब्बत के पश्चिमी भाग में स्थित है। कैलाश पर्वत की समुद्र तल से ऊंचाई लगभग 6,638 मीटर यानी (21,778 फीट) है। हिन्दू सनातन धर्म में इस पर्वत को अत्यधिक पवित्र माना गया है। माना जाता है की कैलाश पर्वत में भगवान शिव का वास है। हिंदू धर्म के लोगों का मानना है की भगवान शिव वहां बर्फ में अंजान (ब्रह्म) तप में लीन शालीनता से शांत ,निष्चल ,अघोर धारण किये हुऐ एकांतवास में तप में लीन है।

आखिर कहां है कैलाश पर्वत!! | Kailash Parvat

कैलाश पर्वतमाला बहुत बड़ी पर्वतमाला है जो की कश्मीर से लेकर भूटान तक फैली हुई है।  इसमें ल्हा चू और झोंग चू के बीच में कैलाश पर्वत है जिसकी उत्तरी शिखा का नाम कैलाश है। इस चोटी की आकृति एक बड़े शिवलिंग की तरह नजर आती है। कैलाश पर्वत सदैव ही बर्फ से ढका हुआ रहता है। इसके दक्षिण तथा पश्चिम भाग में राक्षसताल और मानसरोवर झीलें प्रमुख हैं। 

कैलाश पर्वत में क्या है खास !!

कैलाश पर्वत को 4 धर्मों में पवित्र माना गया है:  हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, बॉन धर्म तथा जैन धर्म में। इसके साथ साथ ही कैलाश पर्वत की चार अलग-अलग दिशाएं हैं, जिनका मुंह चार प्रमुख दिशाओं की तरफ है, जो कि अलग-अलग जानवरों से जुड़ी हैं। कैलाश पर्वत के पूर्व में अश्वमुख है, पश्चिम में हाथी का मुख, उत्तर में सिंह का मुख और दक्षिण में मोर का मुख स्थित है। इसके अलावा कैलाश से एशिया की चार प्रमुख नदियों का स्रोत भी है। यह नदियां हैं ब्रह्मपुत्र, सतलज, करनाली और सिन्धु नदी। ये चारों नदियाँ पूरे एशिया में बहती हैं और एशिया के पड़ोसी देशों की बड़ी जनसंख्या इन्हीं नदियों के पानी पर आश्रित है। जहां दुनिया के सभी पर्वत तिकोने हैं तो वहीं कैलाश पर्वत चौकोर है। 

कैलाश पर्वत का सनातन धर्म में महत्व (Kailash parvat) !! 

तिब्बत में स्थित कैलाश पर्वत का वर्णन हिंदू धर्म के कई ग्रंथों में मिलता है। इसमें स्कंद पुराण, शिवपुराण, मत्स्य पुराण आदि में कैलाश खंड नाम से अलग पाठ भी हैं। इन सभी में कैलाश पर्वत (Mount Kailash) के चमत्कारों के बारे में बताया गया है। बताया जाता है की कैलाश पर्वत में भगवान शिव (Lord Shiva) का घर है और वह यहीं रहते हैं। इस जगह में भगवान शिव माता पार्वती और अपने अन्य परिवार के सदस्यों तथा अन्य देवी-देवताओं के साथ रहते हैं। कैलाश की मानसरोवर यात्रा के समय इस पर्वत की परिक्रमा की जाती है और यह बहुत शुभ माना जाता है। पुरानी कथाओं की मानें तो इस पर्वत के पास प्राचीन धन कुबेर की नगरी भी है। लोगों का मानना तो यहां तक है कि जो व्यक्ति अपनी जिंदगी में अच्छे और पुण्य कर्मों को करता है तो उसकी मौत के बाद उसकी आत्मा को कैलाश पर्वत पर जगह मिल जाती है।

कैलाश पर्वत (mount kailash) या मानसरोवर यात्रा !!

तिब्बती (लामा) लोग कैलाश मानसरोवर की तीन या तेरह प्रदक्षिणा की अहमियत को मानते हैं। लोगों का मानना है की व्यक्ति के कैलाश मानसरोवर की एक परिक्रमा से एक जन्म का तथा इसकी दस परिक्रमा करने से एक कल्प का पाप नष्ट हो जाता है। जो भी लोग इसके 108 चक्कर पूरे करते हैं तो  उन्हें जन्म-मरण से मुक्ति मिल जाती है।

इस तीर्थ को गणपर्वत, रजतगिरि और अस्टापद भी कहते हैं। कैलाश पर्वत जो की 6,638 मीटर ऊंचा पर्वत शिखर है और उससे लगे मानसरोवर का यह तीर्थ है और इस प्रदेश को मानसखंड कहते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार अनेक ऋषि मुनियों के यहां पर रहने का उल्लेख प्राप्त होता है। जैन धर्म में इस स्थान का बहुत महत्व है। इसी पर्वत पर श्री भरत स्वामी ने रत्नों के 72 जिनालय बनवाये थे।

कैलाश-मानसरोवर जाने के लिए कई सारे रास्ते हैं परंतु उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के धारचूला, लिपूलेख, खिंड कालापानी, गर्ब्यांग, अस्कोट, तकलाकोट होकर जानेवाला रास्ता और रास्तों के बजाय सरल हैं। तकलाकोट से तारचेन जाने के रास्ते में ही मानसरोवर पड़ता है।

कैलाश पर्वत की परिक्रमा तारचेन से शुरू होकर वहीं समाप्त होती है। तकलाकोट से 40 किमी पर मंधाता पर्वत है। गुर्लला का दर्रा 4,940 मीटर की ऊँचाई पर है। इसके बीच में ही पहले बाई ओर मानसरोवर है और दाई ओर राक्षस ताल स्थित है। इसके उत्तर की ओर काफी दूरी तक कैलाश पर्वत जो की सदैव बर्फ से ढका हुआ रहता है उसका एक बहुत ही सुंदर दृश्य दिखाई देता है। गुर्लला का दर्रा समाप्त होने पर तीर्थपुरी नाम की एक जगह आती है जहां पर गर्म पानी के झरने हैं। इस भ्रमण में साधारणतः दो मास लगते हैं और मानसून आने से पहले मई जून के अंत तक सभी यात्री अल्मोड़ा लौट आते हैं। इस प्रदेश में एक सुवासित वनस्पति होती है जिसे कैलाश धूप के नाम से जाना जाता है। लोग इसे प्रसाद के रूप में लेते हैं।

“Kailash Parvat | कैलाश पर्वत के कुछ रहस्य (Mystery of Mount Kailash)”!!

  कैलाश पर्वत अपने आप कई रहस्यों को समेटे हुए है जिसमें से कुछ निम्न हैं: 

1. कैलाश पर्वत आज भी अजेय है:

माउंट एवरेस्ट एशिया का सबसे बड़ा पर्वत है जिसकी ऊंचाई लगभग 8,848 मीटर है और माउंट एवरेस्ट को अभी तक कई लोगों ने फतेह किया है परंतु वहीं अगर हम कैलाश पर्वत की बात करें जिसकी ऊंचाई लगभग 6,600 मीटर है इसपर आजतक कोई भी नही चढ़ पाया है। हालांकि कई लोगों ने काफी प्रयास किए परंतु किसी के भी प्रयास सफल नही हुए यह पर्वत आज भी अजेय है। लोगों का मानना है की इस पर्वत में कोई ऐसी शक्ति है जो उन्हें ऊपर चढ़ने से रोकती है।

2. कैलाश पर्वत पृथ्वी का केंद्र बिंदु :

पृथ्वी के एक ओर उत्तरी ध्रुव है और पृथ्वी के दूसरी ओर दक्षिणी ध्रुव है और इन दोनो ध्रुवों के बीच हिमालय पर्वत स्थित है और हिमालय का केंद्र है कैलाश पर्वत। वैज्ञानिकों ने भी कैलाश पर्वत को ही धरती का केंद्र बिंदु माना है। 

3. कैलाश पर्वत से ॐ की आवाजें :

कोई भी व्यक्ति जब कैलाश पर्वत की तरफ या मानसरोवर झील के इलाके में जाता है तो उन्हें लगातार एक ध्वनि की आवाज आती रहती है और यह आवाज काफी अलग होती है परंतु वहां पहुंचे हुए लोग बताते हैं की जब कोई भी इस ध्वनि को ध्यान से सुनता है तो सुनने पर यह ध्वनि ‘डमरू’ या ‘ॐ’ की ध्वनि जैसी होती है। इन्ही सब बातों को सुनकर वैज्ञानिकों का कहना है की हो सकता है की यहां प्रकाश और ध्वनि के बीच इस तरह का मिलाप होता है कि यहां से ‘ॐ’ की आवाजें सुनाई देती हैं और यह भी हो सकता है कि यह आवाजें बर्फ के पिघलने की हो।

4. कैलाश पर्वत पर आखिर कौन चढ़ पाया है:

अगर आज तक के सफर की बात करें तो यूं तो कैलाश पर्वत के शिखर पर कोई भी नही चढ़ पाया है परंतु कुछ का कहना है कि  11वीं सदी के एक बौद्ध भिक्षु योगी मिलारेपा ने कैलाश पर्वत को फतेह किया था। इस पर्वत के शिखर पर पहुंचकर वापस आने वाले वह पहले इंसान थे। यद्यपि कैलाश पर्वत की चोटी पर चढ़कर वापस आने के बाद मिलारेपा ने कुछ भी नहीं कहा है, इसी वजह से यह आज भी यह रहस्य बना हुआ है।

5. कैलाश पर्वत पर चढ़ने वाले लोगों के साथ हुए कुछ अनोखे किस्से : 

कैलाश पर्वत पर अभी तक जो भी व्यक्ति चढ़े हैं उनके साथ कई ऐसी घटनाएं हुई हैं की वह ऊपर नही चढ़ पाते। चढ़ाई करने वाले लोगों से पता चला है कि जब हम कैलाश पर्वत की ओर ऊपर चढ़ते हैं तो हम जैसे जैसे ऊपर चढ़ते हैं वैसे वैसे ही हमारी उम्र भी तेजी से बढ़ती जाती है। इसके साथ ही हमारे नाखून और बाल भी तेजी से बढ़ते हैं। यहां तक कि हमारे काले बाल भी ऊपर चढ़ते समय तेजी से सफेद बालों में बदल जाते हैं। पर्वत पर कुछ दूर चढ़ते ही व्यक्ति दिशाहीन हो जाते हैं और ऐसे में चढ़ाई करना संभव नही है। 

6. आसमान में प्रकाश का चमकना :

लोगों द्वारा यह दावा किया जाता है कि कई बार कैलाश पर्वत के ऊपर आसमान में 7 तरह की रोशनियां चमकती हुई देखी गई हैं। परंतु नासा के वैज्ञानिकों का ऐसा मानना है कि हो सकता है जो भी यहां हो रहा है वह यहां के चुम्बकीय बल के कारण होता हो। यहां पर उपस्थित चुम्बकीय बल आसमान से मिलकर कई बार इस तरह की चीजों का निर्माण कर सकता है।

7. पर्वत के ऊपर हेलीकॉप्टर भी न जा पाया:

कई लोगों ने कैलाश पर्वत पर चढ़ने की नाकाम कोशिश की हैं तो वहीं कुछ लोगों ने इस पर्वत में ड्रोन भेजने की तक कोशिश की है परंतु किसी की भी मेहनत एक भी बार रंग नही लाई है। इस पर्वत के ऊपर आज तक हवाई जहाज भी नही जा पाया है। इस पर्वत के ऊपर पहुंचते ही हेलीकॉप्टर की दिशा अपने बदल जाती है। इसीलिए लोग मानते हैं यहां कोई अनोखी शक्ति है जो हर कोशिश को नाकाम कर देती है !!

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