शिव भक्त ।। Shiva Bhakt ।। Hindi Story

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देशभक्ती Shri Badarinath Kedarnath Temple Shiv Bhakt Hindi story

एक बार एक शिव-भक्त अपने गांव से केदारनाथ धाम की यात्रा पर निकलता है। पहले के समय में यातायात की सुविधाएँ तो नही होती थी तो वह पैदल ही निकल पड़ता है। उस आदमी को रास्ते में जो भी मिलता वह उस से केदारनाथ जाने का मार्ग पूछ लेता और आगे बढ़ता जाता। वह मन में बस भगवान शिव का ध्यान करता रहता। चलते चलते उसको कई महीने बीत गए। वह आदमी पूछते पूछते रुद्रप्रयाग जिले में पहुंचता है फिर वहां से चलते चलते गुप्तकाशी, गुप्तकाशी से सोनप्रयाग और सोनप्रयाग से सीधा गौरी कुंड। गौरी कुंड पहुंच कर वह बहुत खुश हो जाता है क्योंकि वहां से अब केदारनाथ की दूरी कम ही रह गई थी। आखिरकार वह दिन भी आ गया और वह केदारनाथ धाम पहुंच ही गया।

केदारनाथ धाम में सर्दियों में 6 महीने तक द्वार बंद रहते हैं और यह गर्मियों में खुलते हैं। वह आदमी उस द्वार पर पहुंचा तो देखा की मंदिर में ताला लगा हुआ है और सभी श्रद्धालु और मंदिर के पुजारी ताला लगा कर घर जा रहे हैं। वह आदमी पुजारी जी से अनुरोध करता है की पुजारी जी कृपया करके यह द्वार बस थोड़े टाइम के लिए खोल दीजिए मैं बस बाबा के दर्शन करना चाहता हूं आप फिर बंद कर लीजिएगा।वह बताता है की वह बहुत दूर से आया है और मुझे यहां पहुंचने में कई महीने बीत चुके हैं।

Shri Badarinath Kedarnath Temple Shiv Bhakt Hindi story
Shri Badarinath Kedarnath Temple

लेकिन वहां का तो नियम है एक बार बंद तो बंद। नियम तो नियम होता है। वह बहुत रोया और सबके पैर पकड़ने लगा की कृपया करके मुझे एक बार बाबा के दर्शन करा दो। वह बार बार भगवान शिव को याद करता रहा। परंतु, किसी ने भी उसकी एक न सुनी।

पुजारी जी बोले अब यहाँ 6 महीने बाद आना, 6 महीने बाद यहां के दरवाजे खुलेंगे। यहाँ 6 महीने बर्फ और ठंड पड़ती है। और सभी जन वहां से चले गये।

वह वही पर रोता रहा। रोते-रोते रात होने लगी चारो तरफ अँधेरा हो गया। लेकिन उसे विश्वास था अपने शिव पर कि वो जरुर कृपा करेगे। उसे बहुत भूख और प्यास भी लग रही थी।

उसने किसी के आने की आहट सुनी। देखा एक सन्यासी बाबा उसकी ओर आ रहा है। वह सन्यासी बाबा उस के पास आया और पास में बैठ गया। पूछा – बेटा कहाँ से आये हो ? उस ने सारा हाल सुना दिया और बोला मेरा आना यहाँ पर व्यर्थ हो गया बाबा जी। बाबा जी ने उसे समझाया और खाना भी दिया। और फिर बहुत देर तक बाबा उससे बाते करते रहे। बाबा जी को उस पर दया आ गयी। वह बोले, बेटा मुझे लगता है, सुबह मन्दिर जरुर खुलेगा। तुम दर्शन जरुर करोगे।

बातो-बातो में इस भक्त को ना जाने कब नींद आ गयी। सूर्य के मद्धिम प्रकाश के साथ भक्त की आँख खुली। उसने इधर उधर बाबा को देखा, किन्तु वह कहीं नहीं थे । इससे पहले कि वह कुछ समझ पाता उसने देखा की वह पुजारी बाबा और सभी भक्तगण साथ में आ रहे हैं। उस ने पुजारी को प्रणाम किया और बोला – कल तो आप ने कहा था कि मन्दिर 6 महीने बाद खुलेगा ? और इस बीच कोई नहीं आएगा यहाँ, लेकिन आप तो सुबह ही आ गये।

पुजारी जी ने उसे गौर से देखा, पहचानने की कोशिश की और पुछा – तुम वही हो जो मंदिर का द्वार बंद होने पर आये थे ? जो मुझे मिले थे। 6 महीने होते ही वापस आ गए !

उस आदमी ने आश्चर्य से कहा – नही, मैं कहीं नहीं गया। कल ही तो आप मिले थे, रात में मैं यहीं सो गया था। मैं कहीं नहीं गया।

पुजारी जी के आश्चर्य का ठिकाना नहीं था। उन्होंने कहा – लेकिन मैं तो 6 महीने पहले मंदिर बन्द करके गया था और आज 6 महीने बाद आया हूँ। तुम छः महीने तक यहाँ पर जिन्दा कैसे रह सकते हो ?

पुजारी जी और सारी मंडली हैरान थी। इतनी सर्दी में एक अकेला व्यक्ति कैसे छः महीने तक जिन्दा रह सकता है। तब उस भक्त ने उनको सन्यासी बाबा के मिलने और उसके साथ की गयी सारी बाते बता दी। कि एक सन्यासी आया था – लम्बा था, बढ़ी-बढ़ी जटाये, एक हाथ में त्रिशुल और एक हाथ में डमरू लिए, मृग-शाला पहने हुआ था।

पुजारी जी और सब लोग उसके चरणों में गिर गये। बोले, हमने तो जिंदगी लगा दी किन्तु प्रभु के दर्शन ना पा सके, सच्चे भक्त तो तुम हो। तुमने तो साक्षात भगवान शिव के दर्शन किये है। उन्होंने ही अपनी योग-माया से तुम्हारे 6 महीने को एक रात में परिवर्तित कर दिया। काल-खंड को छोटा कर दिया। यह सब तुम्हारे पवित्र मन, तुम्हारी श्रद्वा और विश्वास के कारण ही हुआ है। हम आपकी भक्ति को प्रणाम करते है।

       ।।बाबा भोले नाथ की जय हो।।
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